मलिकपुर नोनरा पंचायत चुनाव (23 मार्च 2021)

वैसे तो पढ़ाई लिखाई से जुड़ा होइ के नाते कइयौ दांय हमार विचार और शोध राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकन अउ संगोष्ठिन में छपा।हिंदी और इंग्लिश में तो बहुत दांय लिखे, लकिन अपनी बोली में कबहुँ नाई लिख पाए एहि नाते आज अपने बोली में लिखै के मन कहेस। सोचे की लावा आज अपने गांव के पंचायत चुनाव के बारे में लिखी। जब से समझै लायक भये अबै तक कुलि मिलायी के ४ चुनाव देखे। पहिले से ही बाबा (आसाराम तिवारी ) और मास्टर बाबू (केशव प्रसाद तिवारी ) पवस्ती मुद्दन पे सक्रिय रहत रहेन तो जबै कउनो खास बात रहै मजे के भीड़ होइ हमरे हियाँ। ऐसे लरिकइयै से ही थोर बहुत जानकारी मिला करत रहै। हमारे घरे निक बात ई रहै की कबहुँ भी बाबा या बाबू हमका हरकेँ न की बड़ा लोग बात करत हैं तो जिन आवा। ऐसे आम तौर पे और खास कै के चुनाव के समय में बहुत कुछ बात सुनै के मिलै जेका की वहि जमाना में लड़िकन के कहा जाई की जिन सुन या भागि जे हियाँ से। हर एक चुनाव के दौरान हमरे घरे होइ वाले strategical discussion के चर्चा यही लेख में न करब लकिन चाहब की जे भी अपने गांव (मलिकपुर नोनरा) या अवधी भाषा क्षेत्र के ई लेख पढ़त हैं relate करैं अपने अपने समय और गांव से। मुद्दा के बात कै जाये तो

१. सबसे पहिला (दुर्भाग्यपूर्ण) मुद्दा है जाति, कबहुँ भी चुनाव में वोटिंग काबिलियत पे भ बै न केहेस एकर पृष्ठभूमि के व्याख्या करै के ज़रूरत हम नाइ समझत हयी, एक बात ज़रूर कहब की चुनाव में थोर बहुत लड़ाई झगड़ा भ होये लेकिन हमरे जानकारी में कबहुँ जाति आधारित क्लेश नाई भ। मलिकपुर नोनरा वाले जाति के मसला में तो कम से कम सहिष्णु हबै केहेन। 

२. दूसर मुद्दा अहइ की फलाने के हरावइ के बा ऐसे में  जे लड़ाई में बा वो का वोट द।अब ई मुद्दा भी सामान्य अहइ काहे से की अगर दुइ मनई में मुकदिमा चलत बा तो अगिला के जीते बे नुकशान तो होबाई कर।  त एहमे वोटर के ही गलती न समझा जाई काहे से की जीते के बाद देखि जात है की प्रधान जी जे वोट नाइ देहे रहत ओका दुश्मन मानि ले थे। 

३. तीसर मुद्दा बा के खोब कपड़ा शराब और पैसा बाटी सका थै। अब एहमे काउ कही " भैया! अपने अपने राम" ।

४. बहुत मुद्दा होये जेका हम भूली गए होब लेकिन सबसे अंत में आवा थै काबिलियत आधारित चुनाव। हमरे ख्याल से गांव के सैकड़ा में से शायद १ या २ मनई काबिलियत पे वोटिंग करत होइहै।    

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