बाबाजी की 5वीं पुण्यतिथि पर (14 अक्टूबर 2016)

स्व. श्री आसाराम तिवारी (1936 - 14 अक्टूबर 2011)


तुम्हारे बिन गुजरे ये पांच बरस 

पर अब भी लगता है जैसे 

पेड़ों के झुरमुट से

तुम आते ही होगे॥

                                या लगता है तुम गए हुए
 
                                हो करने को गंगा स्नान 
 
                                महसूस करें अब भी हम 

                                वो रामायण का मधुर गान॥

वो केले और जो मूंगफली 

तुम लेकर दो पाकर एकान्त

याद आता है जब वो स्नेह 

हृदय हो जाता है अत्यंत क्लान्त॥

                                खेती बाड़ी की सीख 

                                और मुद्दों की गहरी परख
 
                                याद अब भी है करते थे जो 

                                हम तुमसे सन्दर्भित तर्क॥

तुम्हारे न होने के दुःख में 

आज हम दुखी सभी परिजन 

अर्पित करते है तुम्हें 

हमारी श्रद्धा रुपी सुमन॥


© अमित तिवारी

(ये पंक्तियाँ हमारे बाबा जी स्व. श्री आसाराम तिवारी (1936 - 14 अक्टूबर 2011 ) की 5वीं  पुण्यतिथि पर 14 अक्टूबर 2016 को लिखी गयी थीं।)

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